123ArticleOnline Logo
Welcome to 123ArticleOnline.com!
ALL >> Religion >> View Article

मेरा अभिषेक

Profile Picture
By Author: komal parate
Total Articles: 1
Comment this article
Facebook ShareTwitter ShareGoogle+ ShareTwitter Share

परमेश्वर हमारा पवित्र आत्मा के साथ अभिषेक करता है। जैसा कि राजा और भाविष्यवक्ताओ का अभिषेक किया जाता था। येशु अभिषिक्त का प्रतीक है, येशु मसीह का भी पवित्र आत्मा के द्वारा अभिषेक किया गया। येशु के सभी कार्य लोगो के ह्रदय में कार्य करते है। येशु लोगो को बीमारी से स्वास्थ्य की ओर, दासता से मुक्ति की ओर, अंधकार से ज्योति की ओर, और दुख से सर्वोच्च शाश्वत सुख तक, ले जाता है। वह इस उद्देश्य के लिए दुनिया में आया था की मनुष्यजाति पर अपनी आत्मा डाले, ...
... और संसार नाश न हो, परन्तु अनंत जीवन पाए।
यीशु ने लोगो के बीच अपनी सेवकाई का आरम्भ नासरथ के सभाघर में खड़ा होकर, यशायाह नबी की पुस्तक से पढ़कर की। ये शब्द उन्होंने पढ़े थे, “प्रभु का आत्मा मुझ पर है, इसलिये कि उसने कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया है, और मुझे इसलिये भेजा है, कि बन्धुओं को छुटकारे का और अन्धों को दृष्टि पाने का सुसमाचार प्रचार करूं और कुचले हुओं को छुड़ाऊं।” (लुका ४: १८)।
यीशु ने उनसे यह भी कहा, “आज ही यह लेख तुम्हारे साम्हने पूरा हुआ है” (लुका ४: २१)। यह एक बहुत बड़ी बात थी। यीशु की सेवकाई को शुरू हुए चंद समय ही बीता था। येशु एक बढ़ई का बेटा था, जो उन्हीं लोगों के बीच पलकर बड़ा हुआ था, एकाएक इतनी बड़ी बात बोल रहा था। उसका कहना था कि यह ७०० वर्ष पुरानी भविष्यवाणी उसी में पूरी हुई थी।
इस तरह, यीशु ने ज़ाहिर किया कि भविष्यवाणी में बताया गया प्रचारक वही है जो लोगों को सुसमाचार सुनाता और उन्हें शांति देता। मत्ती ४:२३ - और यीशु सारे गलील में फिरता हुआ उन की सभाओं में उपदेश करता और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता, और लोगों की हर प्रकार की बीमारी और दुर्बल्ता को दूर करता रहा। यीशु ने लोगों को वाकई सुसमाचार दिया। उसने अपने सुननेवालों से कहा यूहन्नाे ८:१२ - तब यीशु ने फिर लोगों से कहा, जगत की ज्योति मैं हूं; जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा। उसने यह भी कहा यूहन्नाअ ८:३१ – ३२ - तब यीशु ने उन यहूदियों से जिन्हों ने उन की प्रतीति की थी, कहा, यदि तुम मेरे वचन में बने रहोगे, तो सचमुच मेरे चेले ठहरोगे। और सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा। जी हाँ, यीशु के पास “अनन्त जीवन की बातें” थीं। (यूहन्ना ६:६८, ६९) ज्योति, जीवन और स्वतंत्रता, ये सचमुच अनमोल आशीषें हैं।

यशायाह नभी की पुस्तक
नासरत के आराधनालय के सदस्यों के लिये यशायाह नभी की पुस्तक के ६१ वें अध्याय में उल्लिखित इन वचनों का क्या महत्त्व था? पहली बात जो उन्हें याद आया होगा कि इनके पूर्वज मिश्र देश में गुलाम थे। उस देश में इन लोगों ने तब तक कष्ट और सताव में जीवन बिताया था, जब तक मूसा के द्वारा परमेश्वर ने अनेक चिह्न और आश्चर्यकर्म करके वह इन्हें वहां से छुड़ा नहीं लिया।
यशायाह द्वारा भविष्यवाणी की गयी सभी बातें पुरी हुईं। यीशु भले काम करते रहे। यीशु ने परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार गलील के गरीबों तक पहुंचाया। कितने रोगी चंगे हुए और कितने लोगों ने प्राण -घातक रोगों से छुटकारा पाया। अन्धकार की शक्तियों, और दृष्तात्माओ के द्वारा सताये गये और कष्ट पा रहे लोगों ने छुटकारा पाया। ऐसे ऐसे आश्चर्य कर्म हुए जो विश्वास से परे थे। जो लोग जन्म से अन्धे थे, उन्होंने भी दृष्टि पायी। इससे भी बड़ी बात यह कि, येशु ने मरे हुओं को भी पुनर्जीवित किया। जिन लोगों ने चंगाई पायी थी और छुटकारा पाया था, हम उनके हर्षोल्लास की कल्पना कर सकते हैं। यह भी सत्य है कि हम में से बहुतों ने अपने जीवन में इनमें से कुछ चीजों का अनुभव किया है।

चार सांसारिक मनुष्य
यहाँ मै कुछ बातो की और आपका ध्यान केन्द्रित करना चाहूँगा। लुका – ४:१८-१९ में चार तरह के लोगो का वर्णन किया गया है। उन चार तरह के लोगो को उधहार देने के लिए प्रभु येशु मसीह इस जगत में आये।
१) कंगाल - मनुष्यों के बीच येशु का एकमात्र कार्य कंगलो को सुसमाचार सुनना था। जो आत्मा में कंगाल और सच्ची धार्मिकता के लिए मसीह की तलाश करते हैं, प्रभु येशु मसीह उन लोगो के लिए आये। जो लोग अपनी आध्यात्मिक कंगाली को महसूस करते हैं, जिनके दिल अपने पापों की भावना से टूट जाते हैं, जो खुद को कई बुरी आदतों की जंजीरों से बंधे हुए हैं, जो अपराध और दुःख के अंधेरे में बैठते हैं, इन के लिए, मसीह की कृपा का सुसमाचार एक मनभावन ध्वनि है।
फरीसियों और सदूकियों ने गरीबों का तिरस्कार किया। ये लोग स्पष्ट रूप से स्वीकार करते थे कि उनके पास सबकुछ हैं। लेकिन वे लोग इस दुनिया के गरीब थे। धन अभिमान के साथ मन को भर देता हैं, और इस भावना के साथ भी कि सुसमाचार की आवश्यकता नहीं है। लेकिन सुसमाचार धनी लोगो के लिए नहीं पर कंगाल को आशीष देने के लिए दिया गया था।
२) बंदी - येशु हर मनुष्य को बन्धनों से छुड़ाता है। यह मूल रूप से उन लोगों के लिए लागू है जो पाप और शैतान की कैद में है। उन लोगो की हालत दयनीय होती है। जो लोग बंधुआई में हैं उन्हें उद्धार प्रदान करने के लिए, इसके साथ ही दास को स्वतंत्रता और उनके परिवारों को बहाल करने के लिए, येशु आया था। यह पाप से मन को बंदी मुक्त करता है। यह बंधुआई से आराम देता है, और अंत में सभी बंदीगृह के दरवाजे खोल देता है और गुलामी की सभी जंजीरों को तोड़ देता है। येशु के द्वारा केवल उद्धार होता है; जो अपने लोगों को उनके पापों से बचाता है।
३) अंधे - जब व्यक्ति अंधेरे में होता हैं और कोई ज्योति नहीं देखता हैं, तब उसे अंधे के रूप में दर्शाया जाता है; वे पाप और शैतान के बंधन में हैं, और अपने राज्य के अंधे, अज्ञानी और असंवेदनशील हैं। जब येशु उन्हें मुक्त कर देते हैं, और उनकी आँखें खोलते हैं, तब उन्हें आध्यात्मिक दृष्टि प्रदान होती है। यशायाह ४९: ९ - और बंधुओं से कहे, बन्दीगृह से निकल आओ; और जो अन्धियारे में हैं उन से कहे, अपने आप को दिखलाओ! वे मार्गों के किनारे किनारे पेट भरने पाएंगे, सब मुण्डे टीलों पर भी उन को चराई मिलेगी।
“अंधे को दृष्टि” यह अक्सर शाब्दिक रूप से पूरा होता था,
मत्ती ११: ५ – कि अन्धे देखते हैं और लंगड़े चलते फिरते हैं; कोढ़ी शुद्ध किए जाते हैं और बहिरे सुनते हैं, मुर्दे जिलाए जाते हैं; और कंगालों को सुसमाचार सुनाया जाता है।
यूहन्ना ९:११ – उस ने उत्तर दिया, कि यीशु नाम एक व्यक्ति ने मिट्टी सानी, और मेरी आंखों पर लगाकर मुझ से कहा, कि शीलोह में जाकर धो ले; सो मैं गया, और धोकर देखने लगा।
मत्ती ९:३० - और उन की आंखे खुल गई और यीशु ने उन्हें चिताकर कहा; सावधान, कोई इस बात को न जाने।
४) कुचले हुए लोग - जिनके हृदय टूटे हैं और जो पाप की भावना से लिपटे हुए है, और आत्मिक रूप से घायल हैं, और बड़े दर्द और संकट में हैं, प्रभु येशु ऐसे लोगो को भी सुसमाचार सुनाने के लिए आया। प्रभु येशु उन लोगों को सांत्वना देने के लिए आये जो पीड़ित हैं, या जिनके दिल बाहरी आपदाओं से या पाप की भावना से टूट गए हैं। यशायाह ४२: ७ - बंधुओं को बन्दीगृह से निकाले और जो अन्धियारे में बैठे हैं उन को काल कोठरी से निकाले।

प्रेरित और सुसमाचार
स्वर्ग जाने से पहले उसने अपने चेलों से कहा कि तुम्हें भी पवित्र आत्मा से इसी तरह समर्थ किया जाएगा ताकि “पृथ्वी की छोर तक” गवाही दे सको। यीशु के चेलों ने उसके प्रचार काम को जारी रखा। उन्होंने इस्राएलियों और दूसरी जाति के लोगों को भी ‘राज्य का सुसमाचार’ सुनाया। (मत्ती २४:१४; प्रेरितों १५:७; रोमियों १:१६) जिन लोगों ने यह संदेश स्वीकार किया, उन्होंने येशु को जाना। पवित्र आत्मा ने फिलिप्पुस को एक कूशी अधिकारी को प्रचार करने के लिए मार्गदर्शित किया, उसी आत्मा ने पतरस को रोमी सूबेदार के यहाँ भेजा और पौलुस तथा बरनबास को अन्यजातियों में प्रचार करने के लिए भेजा। यह भला किसने सोचा था कि इस तरह की विभिन्नं पृष्ठभूमियों के लोग भी कभी सुनेंगे? लेकिन उन्होंने सुना। प्रेरितों - १:८; ८:२९-३८; १०:१९, २०, ४४-४८; १३:२-४, ४६-४८।
चेलों ने कितना उत्साह अनुभव किया होगा, जब उन्होंने न सिर्फ ये आश्चर्यजनक काम अपनी आंखों से देखा बल्कि ऐसे आश्चर्य कर्म स्वयं करने की शक्ति भी पायी। उन्होंने इन बातों के विषय में धर्मशास्त्र में पढ़ा था, लेकिन उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसे काम उनकी आंखों के सामने नहीं बल्कि उनके अपने हाथों से होगे। वे झूठे धर्म की गुलामी से आज़ाद हो गए। और वे एक नयी आत्मिक जाति बन गए जिसके सदस्यों को अपने प्रभु, यीशु मसीह के साथ स्वर्ग में हमेशा शासन करने की आशा है। (गलतियों ५:१; ६:१६; इफिसियों ३:५-७; कुलुस्सियों १:४, ५; प्रकाशितवाक्य २२:५) ये आशीषें वाकई बेशकीमती हैं।
आज के प्रचार कार्य में पवित्र आत्मा की सहभागिता के बारे में प्रकाशितवाक्य की पुस्तक भी ज़ोर देती है। प्रका - २२:१७ - और आत्मा, और दुल्हिन दोनों कहती हैं, आ; और सुनने वाला भी कहे, कि आ; और जो प्यासा हो, वह आए और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले। सब लोगों में प्रचार करने के लिए इसी आत्मा ने मसीह के दुल्हिन वर्ग और उनके साथी ‘अन्य भेड़ों’ को प्रेरित किया है। युहन्ना - १०:१६ - और मेरी और भी भेड़ें हैं, जो इस भेड़शाला की नहीं; मुझे उन का भी लाना अवश्य है, वे मेरा शब्द सुनेंगी; तब एक ही झुण्ड और एक ही चरवाहा होगा। इस विश्वाहस के साथ कि परमेश्वरर की आत्मा हमारी मदद करेगी, हमें हिम्मत से प्रचार करना चाहिए और सब तरह के लोगों से बात करने में कभी भी हिचकिचाना नहीं चाहिए।
जब तक प्रभु चाहता है अगर तब तक हम राज्य संदेश का प्रचार करते रहेंगे तो हम पूरी तरह से आश्वेस्त हो सकते हैं कि परमेश्वेर की आत्मा सदैव हमारे साथ रहेगी। और इस सबसे महत्त्वपूर्ण राज्य कार्य को यत्नपूर्वक करने में अपना पूरा ज़ोर लगाने के लिए हमें इस ज्ञान से प्रोत्साहित और प्रेरित होना चाहिए। १ तीमु - ४:१० - क्योंकि हम परिश्रम और यत्न इसी लिये करते हैं, कि हमारी आशा उस जीवते परमेश्वर पर है; जो सब मनुष्यों का, और निज करके विश्वासियों का उद्धारकर्ता है। यीशु के पास आओ वह सबको बचाता है।

Total Views: 394Word Count: 1700See All articles From Author

Add Comment

Religion Articles

1. Chhath Puja Rituals, Traditions And Strory
Author: kuldeep

2. Your Complete Guide To Hassle-free Umrah Package Booking
Author: sanaya khan

3. How A Prayer Times App Helps During Ramadan
Author: Master of Backlinks

4. Love Vashikaran Solutuions In Delhi By Astro Saloni
Author: Astro Saloni

5. The Power Of Astrology In Transforming Lives
Author: Astro Venkateshji

6. Kaal Sarp Dosh Puja In Trimbakeshwar With Pandit Vedanshu Guruji
Author: Pandit Vedanshu Guruji

7. Best Astrologer In Kammanahalli
Author: Pandithkeshav

8. Love Vashikaran Astrologer In Bangalore
Author: Astrologerpandith

9. Ramoudhya Gangajal
Author: Ramoudhya

10. Best Astrologer In Chandigarh And Mohali
Author: mehtali

11. Best Astrologer In Gnana Bharathi Nagar
Author: AstroBAB

12. Love Problem Solution Astrologer In Marathahalli
Author: Hanumanastro9

13. Why Trimbakeshwar Is The Best Place For Narayan Nagbali Pooja
Author: Pandit Narayan Shashtri

14. How To Find The Best Astrologer In Major U.s. Cities
Author: Adarsh Kothari

15. How To Use Black Magic Spells To Attract True Love
Author: Astrologer RK Sharma

Login To Account
Login Email:
Password:
Forgot Password?
New User?
Sign Up Newsletter
Email Address: