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आप पहली बार Online ले सकते है मुरैना की प्रसिद्ध गजक

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By Author: uma shankar pandey
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मुरैना की गजक
गजक यानी तिल और गुड से बनी खस्ता मिठाई। इसे सर्दियों का टॉनिक कहा जाता है। उत्तर भारत की लोकप्रिय गजक दक्षिण भारत में कम ही जानी जाती है। गजक यानी मुरैना की। ग्वालियर की और आगरा की गजक भी प्रसिद्द है।मुरैना वासी बड़े गर्व से कहते है की चम्बल नदी की तासीर से गजक ...
... में खस्ता पन आता है। यहाँ पानी में कई लवणयुक्त तत्वों की उपस्थिति और गुड़ में मौजुद लोह तत्वों के साथ आयुर्वेद में गुणकारी माने जाने वाले तिल का मिश्रण जहाँ गजक को स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक बनाता है वहीं यहां के कुशल कारीगरों की गजक की कुटाई उसे खस्ता बनाती है।चंबल नदी के बीहड़ जहाँ एक और दुर्दांत डकैतो के लिए कुख्यात हैं वहीं इसका पानी गुड़ और तिल से बनी मुरैना की खस्ता गजक के लिए भी मशहूर है। जाडे़ की मेवा के नाम से प्रसिद्ध गजक यहाँ अब कुटीर उ द्योग का रुप ले चुकी है। इन चार महीनों में यहाँ के गजक व्यवसायी अपनी साल भर की आजीविका अर्जित करने के साथ ही सैकङों बेरोजगारों को भी आय का जरिया मुहैया कराते हैं
मुरैना मे गजक बनाने की शुरुआत आज से करीब आठ दशक पहले यहाँ के शिवहरे परिवार ने की थी। तब उन्होने गुड़ और तिल को मिलाकर तिलकुटिया बनाकर बाजार मे उतारा था। स्वादिष्ट तिलकुटिया की बढ़ती माँग को देखते हुए धीरे धीरे तिलकुटिया की कारीगर मुरैना में विभिन्न प्रकार की गजक बनाने लगे।
यहाँ के कारखानों से तिल, गुड़ शक्कर और मावे से भरपूर गजकों में पिस्ता, काजु गजक, फेनी गजक, गुजिया गजक, सोन गजक रोल, समोसा गजक, मावा गजक, तिल पट्टी, सहित कई प्रकार की तिलकुटिया की गजक बनाकर देश भर में भेजी जा रही हैं। गजक की लोकप्रियता का आलम यह है कि जाडे़ के दिनों में शादी और दावतों में मिठाई की जगह गजक ही परोसी जाती है।
मुरैना से हर रोज सैकडो़ किलो गजक इंदौर, भोपाल, दिल्ली, मुंबई पुणे सहित कई महानगरों को भेजी जाती है। हर साल नवंबर से फरवरी तक यह सिलसिला अनवरत चलता रहता है।सड़क मार्ग या रेल मार्ग के जरिए मुरैना से गुजरने वाले अधिकांश यात्री मुरैना की खस्ता गजक लिए बगैर नही रह पाते। यहां पुराने गजक निर्माताओं ने गजक के नए-नए परिष्कृत रुप तैयार कर लोगों के स्वाद में बढोतरी की है। यही कारण है कि मुरैना की मशहुर गजक की आज देश के कोने- कोने से मांग आ रही है।
माइक्रो स्मॉल एण्ड मीडियम इंटरप्राइजेज (एमएसएमई) डेवलपमेंट इंस्टीटयूट मुरैना की गजक को ग्लोबल पहचान देगी। इसके लिए संस्था जीआई (जियोग्राफिकल इंडीकेशन) पेटेंट कराएगी। यह केंद्रीय एजेंसी रतलामी सेव, कटनी लाइम स्टोन और सीहोर के गेहूं का भी जीआई पेटेंट कराएगी।एमएसएमई विभाग जीआई हासिल करने के साथ-साथ गजक बनाने की तकनीक को हाईटेक करना चाहता है। गजक की तिली को कूटने,पीटने और खींचने की समूची पारंपरिक कवायदें हाथ-पांव से की जाती हैं। विभागीय अध्ययन में पता लगाया जा रहा है कितने टेम्प्रेचर, दबाव और समय में तिली को मशीन के जरिए बेहतर और स्वादिष्ट बनाया जा सकता है।ताकि इसे संगठित और उन्नत व्यवसाय में बदला जा सके।
गजक के शौकीनों के लिए अच्छी खबर है कि इस साल उन्हें यह खास व्यंजन पाइनेपल, वनीला, चॉकलेट व मिक्स फ्रूट फ्लेवर में भी मिलेगा। हर वर्ष गजक की नई वैरायटी बाजार में लाने वाले कुछ व्यवसायियों ने इसके लिए पूरी तैयारी कर ली है। खास बात यह कि यह फ्लेवर्ड गजक बनाने में घी के बजाय बटर का इस्तेमाल किया जाएगा।वातावरण में थोड़ी सी ठंडक आने के बाद हर साल की तरह इस बार भी शहर में दहशरे से गजक की दुकानें सज गई हैं। ग्राहकों को लुभाने के लिए व्यवसासियों ने गजक की नई वैरायटी बाजार में लाने की तैयारी शुरू कर दी है। पिछले कुछ सालों में सोन गजक, गजक समोसा, गजक कचौरी और गजक बालूशाही तैयार करने के बाद अब वे फ्लेवर्ड गजक बनाने जा रहे हैं। फ्लेवर्ड गजक, रोल के रूप में तैयार की जाएगी।इनके अंदर पाइनेपल, वनीला, चॉकलेट व मिक्स फ्रूट वाली क्रीम भरी जाएगी। गजक की इस वैरायटी की खासियत यह भी होगी कि इसे बटर (मक्खन) से तैयार किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि आमतौर पर गजक की खास वैरायटीज बनाने में घी का इस्तेमाल होता है। फ्लेवर्ड गजक बनाने जा रहे व्यवसायी का कहना है कि बटर के इस्तेमाल से गजक का स्वाद और बढ़ जाएगा।
मध्य प्रदेश के मध्य में, मुरैना नामक एक छोटे से जिले में, जहां यह कहानी शुरू होती है। वह नगर जहाँ मोर विचरण करते हैं। वहाँ, हर सर्दी में, किसान अपनी मेहनत के फल- गजक का सेवन करके कठोर ठंड का सामना करते हैं। घर से उगाया गया तिल या तिल और गुड़ या गुड़, इस मिठाई की दो मुख्य सामग्री एक अद्वितीय संलयन में एक साथ आते हैं जिसे मोरेना गजक कहा जाता है।

काबलीवाला में, हम श्रमसाध्य रूप से इन कैंडिड कैंडीज को एक खुले कदई या कड़ाही में घंटों तक पकाते हैं, इससे पहले कि वे चमकदार, चिकनी और पतली बनावट में बदल जाएं। फिर उन्हें मुरैना गजक नामक कड़े बिस्कुट के आकार के कैंडीज को ठंडा करने की अनुमति दी जाती है जो आज देश भर में बहुत प्रिय हैं।

गजक कठोर सर्दियों के महीनों के दौरान विशेष रूप से उपयोगी है, आपको गर्म रखने और सर्दी और खांसी से बचाता है। माना जाता है कि उच्च प्रोटीन और खनिज सामग्री यकृत के ऑक्सीडेटिव क्षति को रोकने के लिए, हड्डी के स्वास्थ्य को बढ़ाती है, स्मृति में सुधार करती है और समग्र स्वास्थ्य के लिए महान है।
तिल के गजक बनाने में थोड़ी मेहनत लग सकती है, लेकिन स्वाद के मामले में इसका कोई जवाब नहीं है. सर्दी के मौसम में तिल का सेवन करने से शरीर तंदुरुस्त रहता है साथ ही इस मौसम में होने वाले रोगों से भी छुटकारा मिल जाता है.
आवश्यक सामग्री
200 ग्राम सफेद तिल, साफ किया हुआ
300 ग्राम गुड़, छोटे टुकड़ों में तोड़ा हुआ
15-16 बादाम, कटे हुए
15-16 काजू, कटे हुए
2-3 इलायची, पिसी हुई
3 चम्मच घी
विधि
- सबसे पहले मीडिमय आंच में एक कड़ाही रखें और इसमें तिल को अच्छी तरह भून लें. (तिल भुनने के बाद इसमें सोंधी सी खुशबू आने लगेगी.) इसे एक प्लेट में निकालकर ठंडा होने दें.
- जब तक तिल ठंडा हो रहा है उसी कड़ाही में घी (थोड़ा सा बचा लें) और गुड़ डालकर धीमी आंच पर पकाएं.
- जब तक चाशनी तैयार हो रही है तक तिल को मिक्सर में दरदरा पीस लें.
- एक बड़ी और गहरी प्लेट को घी लगाकर चिकना कर लें.
- अब चाशनी में इलायची पाउडर और तिल का चूरा डालकर अच्छी तरह मिक्स करके चलाते हुए कुछ देर पकाएं.
- फिर आंच बंद कर इस मिश्रण को चिकनाई लगी हुई प्लेट में डालकर फैला लें. अब इसमें कटे हुए मेवे फैला दें. जब मिश्रण थोड़ा कड़ा हो जाए तो इसे बेलन से बेलकर फैला लें.
- 10 मिनट बाद इसे चाकू के सहायता मनचाहे साइज में काट लें.
- 30 मिनट के लिए छोड़ दें जिससे गजक अच्छी तरह सेट हो जाए.
- इस गजक को चाहें तो तुरंत खा लें या फिर डिब्बे में रख लें.

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